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‘बस इतनी सी बात हवाओं को बताए रखना, रोशनी जरूर होगी बस चिरागों को जलाए रखना
लहू देकर की है हिफाजत हमने, उस तिरंगे को दिलों में बसाए रखना.’
कुछ इसी तरह की देशभक्ति की भावना के साथ आजादी का 70वां साल फिर से हमारे जीवन में दस्तक देने को है. 15 अगस्त 1947 से देश में काफी बदलाव आया है, अगर अब आज से 50 साल पहले के भारत की ओर मुड़कर देखें तो पाएंगे, देश के लगभग हर क्षेत्र में बदलाव आया है. वहीं दूसरी तरफ बदलाव की इस तस्वीर का एक दूसरा पहलू ये भी है कि सामाजिक परिवेश में ऐसी कई जटिल समस्याएं भी देखने को मिल रही हैं, जिससे समाज या वर्ग विशेष की नहीं बल्कि पूरे देश की छवि धूमिल हो रही है.
बात करें, पिछले कुछ सालों में हुई घटनाओं की, तो धार्मिक उन्माद, भष्ट्राचार, महिला विरोधी घटनाएं, जातीय भेदभाव आदि तनावपूर्ण और हिंसक घटनाओं ने देश के माहौल को हिंसक बनाया है. वहीं साथ ही इन समस्याओं के अलावा देश में गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी, भूखमरी आदि समस्याएं अभी तक जड़ से खत्म नहीं हुई है. एक आम नागरिक होने के नाते जब भी हम अपने देश में ऐसी समस्याएं देखते हैं, तो भारत का महाशक्ति बनने का सपना हमें हकीकत से काफी दूर ही नजर आता है.
देखा जाए, तो आजादी का अर्थ केवल दासता या ब्रिटिश हुकूमत से मुक्ति ही नहीं है बल्कि सही मायनों में आजादी का अर्थ उन बंधनों से मुक्त होना है, जो हमें उन्नति की ओर बढ़ने से रोकते हैं. आप खुद सोचिए, स्वतंत्रता के 70 साल बाद भी देश विकासशील कहलाता है और विकसित होने की दिशा में अभी भी हाशिए से काफी दूर है. यदि एक नजर पिछले दिनों हुई घटनाओं पर डाली जाए तो, कभी देश विरोधी नारे लगाए जाते हैं, तो कभी असहनशीलता के मुद्दे को भुनाने के लिए नेताओं द्वारा राजनीति की जाती है.
ऐसे में देश अपने लक्ष्य से काफी पीछे जाता हुआ नजर आता है. इन सभी घटनाओं और समस्याओं को देखकर कहीं न कही आपका मन भी इन बातों से आजादी चाहता होगा. इस ‘स्वतंत्रता दिवस’ आप देश की किन समस्याओं से आजादी चाहते हैं? साथ ही आपके अनुसार देश में इन समस्याओं को कैसे खत्म किया जा सकता है? आप देश से जुड़ी हुई चुनौतियों के बारे में क्या सोचते हैं? इन सभी विषयों पर आप अपनी राय ‘जागरण जक्शन’ के मंच पर सांझा कर सकते हैं.
नोट : अपना ब्लॉग लिखते समय इतना अवश्य ध्यान रखें कि आपके शब्द और विचार अभद्र, अश्लील और अशोभनीय न हो तथा किसी की भावनाओं को चोट न पहुंचाते हो.
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