- 158 Posts
- 1211 Comments
‘छोटी-सी है ये दुनिया, इसे भीड़ से मत भरिए’
अब जरा, ध्यान से सोचिए जिसे आप भीड़ कहते हैं दरअसल वो जनसंख्या है. जिसका हम हिस्सा है. जब देश आजाद हुआ था उसके कुछ दशकों बाद जनसंख्या विस्फोट इतनी तेजी से हुआ कि सरकार को जागरूकता अभियान के जरिये ‘एक जोड़ा एक बच्चा’ का नारा देना पड़ा. जनसंख्या नियंत्रण जागरूकता के लिए आज भी टीवी, रेडियो, अखबार और सोशल मीडिया पर कई तरह के कैम्पेन चलाए जाते हैं.
लेकिन देखा जाए तो गांवों में अभी भी जनसंख्या के प्रति वो जागरूकता देखने को नहीं मिलती, जिसकी जरूरत है. आज हम तेजी से आधुनिकता की ओर बढ़ रहे हैं, लेकिन जैसा कि हम सभी जानते हैं कि संसाधनों की भी अपनी ही सीमाएं हैं. ऐसे में सभी के लिए संसाधनों की पर्याप्त आपूर्ति कराना एक टेढ़ी खीर बनती जा रही है. उदाहरण के तौर पर आज नौकरी के अवसरों की भारी कमी देखी जा रही है. आप खुद सोचिए किसी सरकारी विभाग में किसी पद के लिए एक वेकेंसी निकलते ही हजारों लोगों द्वारा आवेदन दिया जाता है. आप इसे व्यवस्था की खामी के रूप में देख सकते हैं लेकिन दूसरी तरफ इसे जनसंख्या वृद्धि से भी जोड़ा जा सकता है.
उधर तकनीकी पहलू पर नजर डाले तो रोबोट और आधुनिक मशीनों ने इंसान की भूमिका को कम कर दिया है. जिससे जनसंख्या का भीड़ में बदलने का खतरा और भी बढ़ गया है. अभी हाल में स्टीफन हाकिंग ने अपने बयान में कहा था कि ‘धीरे-धीरे मनुष्य जाति बेकार होती जाएगी क्योंकि रोबोट जल्द ही हमारे अवसरों को हम से छीन लेंगे.’
अब आप ही सोचिए ऐसे में अगर वक्त रहते जनसंख्या को नियंत्रित नहीं किया गया, तो वो दिन दूर नहीं जब हमें अपने ही पैरों के नीचे की जमीन दिखाई नहीं देगी. हर तरफ बस लोगों की भीड़ होगी. 11 जुलाई को ‘जनसंख्या दिवस’ है, ऐसे में आपको बढ़ती जनसंख्या से किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है? साथ ही जनसंख्या को मानव संसाधन में बदलने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं? आप अपने विचार ‘जागरण जंक्शन’ मंच के साथ साझा कर सकते हैं.
Read Comments