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कल्पना कीजिए, अगर आपसे आपकी गाड़ी या बाइक के मॉडल के हिसाब से पेट्रोल की अलग-2 कीमतें वसूली जाने लगे तो आपको कैसा लगेगा. इसी तर्ज पर पिछले दिनों टेलीकॉम कंपनियों द्वारा भारत में इंटरनेट डाटा के लिए अलग-अलग चार्ज लागू करने की पेशकश को, हाल ही में ‘ट्राई’ ने नामंजूर कर दिया.
‘ट्राई’ के इस फैसले ने देशभर में लाखों इंटरनेट यूजर्स को राहत पहुंचाई है साथ ही आम लोगों की राय लेकर ‘ट्राई’ ने पारदर्शिता की एक नई मिसाल कायम की है. हालांकि फैसला आने से पहले ‘नेट न्यूट्रैलिटी’ के पक्ष और विपक्ष में एक लम्बी बहस देखने को मिली. जहां अधिकतर लोग इंटरनेट तटस्थता के पक्ष में तर्क देते हुए दिखे वहीं दूसरी ओर टेलीकॉम कंपनियां इसके विरोध में एकजुट थी.
लेकिन ‘टेलीकॉम सेक्टर की नियामक एजेंसी ‘ट्राई’ ने इन सभी बहसों और अटकलों पर विराम लगाते हुए इंटरनेट यूजर्स के समर्थन में फैसला दिया. इस फैसले को लाखों इंटरनेट यूजर्स की जीत के रूप में भी देखा जा रहा है. ऐसे में टेलीकॉम कंपनियों और इंटरनेट से जुड़ी ऐसी और भी कई नीतियां है जिसमें बदलाव करने की जरूरत है.
इसी तरह ‘नेट न्यूट्रैलिटी’ पर हाल में आए फैसले, टेलीकॉम कंपनियों और इंटरनेट से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर, अगर आपने मन में भी कोई राय है तो आप अपने विचार ब्लॉग लिखकर, जागरण जंक्शन के पाठकों के साथ सांझा कर सकते हैं.
नोट: अपना ब्लॉग लिखते समय इतना अवश्य ध्यान रखें कि आपके शब्द और विचार अभद्र, अश्लील और अशोभनीय ना हों तथा किसी की भावनाओं को चोट ना पहुंचाते हों.
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