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नेताओं पर कम शिक्षित होने के बाण चलते रहते हैं। हाल के दिनों में यह तीर कई मंत्रियों को भी लगे हैं। फिर चाहे, वो केंद्रीय मंत्री हो या किसी राज्य के मंत्री। वर्तमान शिक्षा मंत्री स्मृति ईरानी की डिग्रियों से उपजे विवाद की लौ लालू प्रसाद यादव के बेटों को भी छूकर गुजरी।
वर्षों से नेताओं, मंत्रियों का शिक्षित होना सार्वजनिक बहस का मुद्दा रहा है जिससे हमेशा सत्ता-लोलुपों ने आँखें चुरायी है। अब नेताओं के शिक्षित होने का मुद्दा उस लौ की तरह हो गयी है जो जलती तो है, लेकिन बुझने के लिये। आजादी के करीब 6 दशक बाद इस सूचना युग में भी अशिक्षित नेताओं का राजनीति में आकर शासन चलाना बहस का मुद्दा तो जरूर है। हमेशा से नेता की कुशलता तले इस मुद्दे को दबाने का सफल प्रयास किया जाता रहा है जिसके परिणामस्वरूप अब यह मात्र विरोध का प्रतीक बन कर रह गया है।
ऐसी परिस्थिति में जब नेताओं के अशिक्षित होने का मुद्दा केवल विरोध के हथियार के रूप में इस्तेमाल भर किया जाने लगा है तब इस पर एक सार्थक बहस सभ्य और जागरूक समाज की जरूरत-सी बन जाती है। हाल के दिनों में लालू प्रसाद के बेटों की शिक्षा के मामले ने इस मुद्दे को हवा दी है। इस विषय के पक्ष में जितने तर्क हैं उससे कम विपक्ष में नहीं है। तो क्यों न, इस मुद्दे पर ब्लॉगरों के तर्कों की तीर बरसायी जाये ताकि राजनीति के खिलाड़ियों को जंक्शन ब्लागर्स के विचारों की जानकारी हो सके।
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