Menu
blogid : 147 postid : 818769

नई सहर आने से पहले…..

Jagran Junction Blog
Jagran Junction Blog
  • 158 Posts
  • 1211 Comments

हर एक पल के गुजरने के साथ ही दिन की अवधि कम हो जाती है। दिनों के बीतने के साथ ही सप्ताह बीतता है और फिर एक-एक कर मास। इस तरह 12 मास ऐसे गुजर जाते हैं जैसे वो कल की ही बात हो। फिर नया साल आता है और हम व्यस्त हो जाते हैं नये पलों के स्वागत में। इस जल्दबाजी में हम उन अनगिनत गुजरे पलों को याद नहीं रखते जिसे हमने जिया है। जो अगर नहीं होते तो शायद हम उन पलों को याद न रखते जिसने हमें ज़िंदगी में हँसना-रोना, गाना-बजाना, रूठना-मनाना सिखाया। उन्हीं पलों ने ज़िंदगी के सारे रंगों से हमारा परिचय कराया। उन बीते पलों ने ही धरा रूपी रंगमंच पर हमें अभिनय सिखाया जिसके सहारे हम सदियों से सांसारिक रिश्ते-नातों को निभाते आ रहे हैं।


आज हम फिर से उसी मोड़ पर खड़ें हैं। उस मोड़ पर जहाँ मानवों की कई पीढ़ियों को खड़ा होना पड़ा है। जीवन के इस मोड़ पर बीतते पलों को अलविदा कहना हमारी विवशता होगी और नये पलों का स्वागत हमारी स्व-विकसित परंपरा। यह भी कैसी विडंबना है कि जिस नये साल के आने पर हम खुशियाँ मनाते हैं उसी के अंतिम दिनों में उससे पीछा छुड़ाने की एक अजीब-सी बेचैनी हमारे मन में घर कर जाती है। हम उन अंतिम पलों को ऐसे गिनते हैं जैसे वो हमारे गले की फाँस बन चुकी हों! शायद ये जीवन का दस्तूर है या मानव-मन की आतुरता। लेकिन जो भी हो उन गुजरे पलों में से कुछ खट्टे और अनगिनत मीठे होंगे! उन गुजरे पलों में न जाने कितनी बार हमें बारिश में भींगना पड़ा होगा और न जाने कितनी बार हमारे कंठ धरा के तपने के कारण सूख गये होंगे!


तो आइये, हम नये पलों का गरमजोशी से स्वागत करते हुए एक बार उन खट्टे-मीठे पलों को भी याद कर लें जो हँसी-ठिठोली, अनुभव, घटना और यादें बनकर हमारे ज़ेहन में हैं! जिसे हमारे मन-मस्तिष्क से शिफ्ट + डिलीट करना तो असंभव है ही, सिर्फ ‘डिलीट’ करना भी बेहद मुश्किल है।


नोट:अपना ब्लॉग लिखते समय इतना अवश्य ध्यान रखें कि आपके शब्द और विचार अभद्र, अश्लील और अशोभनीय ना हों तथा किसी की भावनाओं को चोट ना पहुँचाते हों।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply to sadgurujiCancel reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh