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Jingle bells, jingle bells, jingle all the way….
Santa Claus is coming around driving on a sleigh…..
प्रिय पाठकों,
उपरोक्त लिखी क्रिसमस कैरल पढ़कर आपको पता चल ही गया होगा कि हम यहां क्रिसमस की बात करने जा रहे हैं। अब देखिए ना त्यौहारों का देश कहे जाने वाले भारत की खासियत ही यही है कि भले ही यहां हर दिन कोई ना कोई पर्व मनाया ही जाता है लेकिन विभिन्नता में एकता लिए हमारे देश में हर धर्म और संबंधित त्यौहारों को धूमधाम के साथ संपन्न किया जाता है। 25 दिसंबर को ईसाई धर्म का सबसे प्रमुख त्यौहार क्रिसमस मनाया जाने वाला है, जिसकी तैयारियां काफी समय पहले से ही शुरू कर दी गई हैं। ईसाई धर्म के प्रवर्तक जीसस क्राइस्ट के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले इस त्यौहार से जुड़ी एक मान्यता यह भी है कि क्रिसमस ईव के समय सैंटा क्लॉज घर-घर जाकर तोहफों के रूप में खुशियां बांटता है।
अब सैंटा की इस अवधारणा के पीछे कितनी सच्चाई है यह तो पता नहीं, क्रिसमस के समय सैंटा घर-घर जाकर तोहफे बांटता है या माता-पिता ही उन तोहफों को अपने बच्चों के कमरे में रख देते हैं, यह भी हम नहीं बता सकते लेकिन जब कोई इंसान मुश्किल समय में हमारी मदद कर जाता है, अनजाने में ही सही हमारी इच्छा पूरी कर जाता है या फिर जाने-अनजाने ही सही हमारे काम आ जाता है तो वह हमारे लिए किसी सैंटा से कम नहीं होता।
किसी ना किसी मोड़ पर आपके जीवन में भी जरूर कोई ना कोई ऐसा शख्स आया होगा जिसे आप अपने लिए सैंटा क्लॉज मानते हैं या फिर आपने किसी के लिए सैंटा क्लॉज का किरदार निभाया होगा। मौका भी है और दस्तूर भी, तो चलिए क्रिसमस के इस रंगीन और उत्साह भरे मौके पर जागरण जंक्शन मंच पर मौजूद अन्य पाठकों और ब्लॉगरों के साथ बांटें अपने ऐसे ही किसी अनुभव को जिसने आपको किसी का सैंटा बना दिया या फिर आपके लिए कोई सैंटा बन गया!!
नोट: अपना ब्लॉग लिखते समय इतना अवश्य ध्यान रखें कि आपके शब्द और विचार अभद्र, अश्लील और अशोभनीय ना हों तथा किसी की भावनाओं को चोट ना पहुंचाते हों।
धन्यवाद
जागरण जंक्शन परिवार
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