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दिसंबर 1984 में घटित भोपाल गैस त्रासदी भारत के इतिहास में वह काला अध्याय है जिसे शायद ही कभी भुलाया जा सकेगा. इस भयंकर काण्ड में हजारों लोगों की जान जाने के लिए जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड ने शुरू से ही अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लिया. अभी न्यायालय का फैसला आया और फैसले में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने सात दोषियों को दो साल की सजा और एक लाख रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया लेकिन सजा सुनाने के कुछ ही देर बाद सभी आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया गया.
इस भयंकर काण्ड से पीड़ित परिवार इसे बहुत ही अपर्याप्त मान रहे हैं. पीड़ितों के अनुसार, ऐसे कृत्य को अंजाम देने के लिए जिम्मेदार लोगों की सजा मृत्यु से कम नहीं होनी चाहिए.
जागरण जंक्शन के सभी पाठकों की इस पर क्या राय है और ऐसी घटना की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए दण्ड के कैसे उदाहरण होने चाहिए? इस मुद्दे पर आपके विचार क्या हैं इसे आप अपनी टिप्पणियों से बता सकते हैं या शीर्षक का सन्दर्भ देते हुए अपना स्वतंत्र ब्लॉग लिख सकते हैं.
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